Friday, January 3, 2020

अंतरिक्ष में भी है एक बरमूडा ट्रायंगल

अंतरिक्ष में भी है एक बरमूडा ट्रायंगल


आपने बरमूडा ट्रायंगल का नाम सुना होगा. अटलांटिक महासागर में वो इलाक़ा जहां बहुत से विमान और जहाज़ रहस्यमयी तरीक़े से ग़ायब हो जाते हैं. सदियों से इस राज़ को सुलझाने की कोशिश हो रही है. मसला जस का तस है.

पर, क्या आपको पता है कि अंतरिक्ष में भी एक इलाक़ा ऐसा है, जो बरमूडा कहा जाता है. उस इलाक़े से गुज़रने पर भी अंतरिक्षयात्रियों को अजीबो-ग़रीब तजुर्बे होते हैं. उस इलाक़े से गुज़रते वक़्त अंतरिक्षयानों के सिस्टम और कंप्यूटरों में ख़राबी आ जाती है. अंतरिक्षयात्रियों को भयंकर चमक दिखाई देती है.
नासा के एस्ट्रोनॉट रहे टेरी वर्ट्स बताते हैं कि उन्हें अपने पहले ही स्पेस मिशन में इसका तजुर्बा हुआ था. वो सोने ही जा रहे थे कि आंखों में भयंकर सफ़ेद किरणों से आंखें चकाचौंध हो गईं.
वैसे टेरी ये बताते हैं कि अंतरिक्षयात्री बनने से पहले ही उन्होंने इसके बारे में पढ़ा था. वो ये जानते थे कि स्पेस में ऐसा इलाक़ा है, जिसे अंतरिक्ष का बरमूडा कहा जाता है. अपने दोनों ही स्पेस मिशन में टेरी वर्ट्स को इसका तजुर्बा हुआ, जोकि परेशान करने वाला था.
अब आपको अंतरिक्ष के इस बरमूडा ट्रायंगल को तफ़्सील से बताते हैं. ये इलाक़ा दक्षिण अटलांटिक महासागर और ब्राज़ील के ठीक ऊपर के आसमान में है. इस इलाक़े से जब अंतरिक्षयान या स्पेस स्टेशन गुज़रते हैं, तो कंप्यूटर रेडिएशन के शिकार हो जाते हैं. अंतरिक्षयात्रियों की आंखें सफ़ेदी से चकाचौंध हो जाती हैं.
इसकी वैज्ञानिक वजह है. सूरज से हमेशा ही भयंकर और जलाने वाली किरणे निकलती हैं. इनमें इलेक्ट्रॉन होते हैं और विकिरण यानी रेडिएशन भी होता है. जब ये विकिरण सूरज की रौशनी के साथ हमारी धरती के क़रीब पहुंचता है, तो धरती के ऊपर स्थित एक परत जिसको वैन एलेन बेल्ट कहते हैं, वो विकिरण को हमारी धरती पर आने से रोकती है.
जब सूरज से आने वाला ये रेडिएशन, धरती की वैन एलेन बेल्ट से टकराता है, तो ये अंतरिक्ष में फैल जाता है. अब हमारी रक्षा करने वाली ये वैन एलेन बेल्ट धरती के ऊपर एक बराबर नहीं है. वजह ये कि धरती ही गोल नहीं. ये ध्रुवों पर चपटी है. वहीं बीच में थोड़ी ज़्यादा मोटी है.
इस वजह से दक्षिणी ध्रुव के क़रीब के इलाक़ों में ये वैन एलेन बेल्ट धरती के ज़्यादा क़रीब आ जाती है. इससे अंतरिक्ष में उसी हिस्से में सूरज से आने वाले रेडिएशन का ज़्यादा असर दिखाई देता है.
अंतरिक्ष यात्री स्पेस के इस बरमूडा को साउथ अटलांटिक एनोमली कहते हैं. आम तौर पर अंतरिक्ष में उस इलाक़े से गुज़रने वाले अंतरिक्ष यान और स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द उसके पार निकल जाने की कोशिश करते हैं.
लेकिन, आज बहुत सी निजी कंपनियां भी स्पेस मिशन भेजने में जुटी हैं. इनमें सवार होकर बहुत से लोग अंतरिक्ष की सैर के लिए जाएंगे. ऐसे में हमें इस एसएए यानी अंतरिक्ष के बरमूडा ट्रायंगल से ज़्यादा सावधान होने की ज़रूरत है.
नासा के अंतरिक्ष यात्री रहे टेरी वर्ट्स बताते हैं कि इस इलाक़े से गुज़रने वाले सैटेलाइट को भी रेडिएशन का हमला झेलना पड़ता है. कंप्यूटर सिस्टम काम करना बंद कर देते हैं. इसी की वजह से नासा की अंतरिक्ष दूरबीन हबल इस इलाक़े से गुज़रते वक़्त काम करना बंद कर देती है.
टेरी वर्ट्स बताते हैं कि अंतरिक्ष में इस रेडिएशन से बचने का सबसे अच्छा तरीक़ा पानी है. पानी के 23 किलो वज़न वाले बैग की मदद से एक दीवार की खड़ी करके अंतरिक्षयात्री रेडिएशन के हमले से ख़ुद को बचाते हैं.

वैसे सूरज से चलने वाली विकिरण की इस आंधी की वजह से हमें बेहद ख़ूबसूरत क़ुदरती नज़ारा देखने को मिलता है. सूरज और धरती की चुंबकीय किरणें टकराने से ध्रुवों पर हमें हरे रंग की रौशनी देखने को मिलती है. उत्तरी ध्रुव पर ये ख़ूबसूरत मंज़र देखने के लिए लोग हज़ारों किलोमीटर का सफ़र करके पहुंचते हैं.
टेरी वर्ट्स बताते हैं कि अंतरिक्ष में ये नज़ारा और भी ख़ूबसूरत दिखता है. बल्कि वो ये तक कहते हैं कि नॉर्दर्न लाइट्स की ऐसी तस्वीर धरती से आप देख ही नहीं सकते. स्पेस स्टेशन पर रहने के दौरान टेरी वर्ट्स ने उस हरी रौशनी के बीच से गुज़रने का भी तजुर्बा किया था. वैसा तो धरती पर मुमकिन ही नहीं.
सोलर रेडिएशन की अंतरिक्ष में लगातार निगरानी की जाती है. इसके लिए अंतरिक्ष यात्री हमेशा एक रेडिएशन मीटर साथ रखते हैं.
टेरी का कहना है कि अब तो बहुत से स्पेस मिशन प्लान किए जा रहे हैं. इसलिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा अक़्लमंद मशीनें चाहिए होंगी, जो ऐसे विकिरण से ख़ुद ही जूझ सकें. क्योंकि अंतरिक्ष में बहुत दूर के सफ़र में कई बार अंतरिक्ष यात्रियों का संपर्क धरती पर मास्टर कंट्रोल रूम से नहीं होगा. ऐसे में ये मशीनें ख़ुद ब ख़ुद हालात से निपट सकें, इसके लिए हमें नए कंप्यूटर बनाने होंगे.

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